भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शोकसभा में बच्चे की खिलखिलाहट / संजय चतुर्वेदी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:45, 10 दिसम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजय चतुर्वेदी |संग्रह=प्रकाशवर्ष / संजय चतुर्...)
शोकसभा में
अचानक खिलखिला कर हँसने लगा बच्चा
सन्नाटे में आ गए माँ-बाप
कैसे समझाते बच्चे को
हँसना गन्दी बात
बच्चा आ गया बीच की खुली जगह में
माँ-बाप की गिरफ़्त से छूटकर
फेंक के मारी लात हवा में
एक झटके में झाड़ दिया सारा शोक
कैसे हो सकती है हँसना गन्दी बात
भले ही मर गया हो कोई।