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डुपट्टो फूलाँ भया / मालवी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात


चीरा तो तम पेरजो रे बना पेंचा भोत हजार
डुपट्टो फूलाँ भर्यो लाला भोत हजार डुपट्टो फूलाँ भर्यो।

फूलाँ से भरियो सेवरो रे बना हीरा जड्यो रे जड़ाव
डुपट्टो फूलाँ भर्यो।

धारो झरोका को झाकणो रे बना म्हारो सरमीलो सुभाव
डुपट्टो फूलाँ का भर्यो।

थारे म्हारे झगड़ो लागसी रे बना सुनी हे माता बईरी सीख
डुपट्टो फूलाँ भर्यो थारे म्हारे झगड़ा लागसी रे
बना लागा हो बेन्या बेईरी सीख डुपट्टो फूलाँ भर्यो।

कंठी हो तम पेरजो रे बनाँ जामा भोत हजार
केसर भोत हजार डुपट्टो फूलाँ भर्यो।

कड़ा तो तम पेरजो रे बना हीरा भोत हजार
थारो झरोका को झाकणो रे बना म्हारो सरमीला सुभाव
डुपट्टो फूलाँ भर्यो।

इसी तरह जेवरों और परिवार के सदस्यों के नाम जोड़ते-जोड़ते यह गीत लम्बा होता चला जाता है।