Last modified on 20 दिसम्बर 2008, at 07:19

कैसा वो किरदार था / श्याम सखा 'श्याम'

अनूप.भार्गव (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:19, 20 दिसम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्याम सखा 'श्याम' }} <Poem> कैसा वो किरदार था तेग था त...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कैसा वो किरदार था
तेग था तलवार था

आग दोनो ओर थी
पर मिलन दुश्वार था

कहने को थे दिल मिले
पर लुटा घर-बार था

खुशनुमा खबरें पढीं
कब का वो अखबार था

कश्ती मौजों में पहुंची
छुट गया पतवार था

थी जवानी बिक रही
हुस्न का बाजार था

बेवफा थी वो मगर
दिल से मैं लाचार था