सुनो,
आकाश में जब भी गरजते हैं मेघ,
कड़कती हैं बिजलियां
मेरा भी मन डरता है
ठीक तुम्हारी तरह
प्रिया से दूर हूं मैं
इंद्रप्रस्थ में एकाकी.
सुनो,
आकाश में जब भी गरजते हैं मेघ,
कड़कती हैं बिजलियां
मेरा भी मन डरता है
ठीक तुम्हारी तरह
प्रिया से दूर हूं मैं
इंद्रप्रस्थ में एकाकी.