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रात के मन्दिर / संजय चतुर्वेदी

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उदासी रास्तों के साथ दूर तक जाती है
उन लोगों तक जो कविताएँ नहीं लिखते

आसमान में क़िस्मत के सितारे चमक रहे हैं
दुनिया के सभी लोगो पर एक बराबर

एक पीपल का पेड़ खड़ा है चुपचाप
सारे गाँव की कहानियाँ अपने नीचे समेटे

थके लोग जब रात को सो जाते हैं
एक बच्चा निकलता है गाँव से

आ के बैठ जाता है पीपल के नीचे
सारी कहानियों से बेख़बर।