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घर छोड़ते समय / नवल शुक्ल

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जूते झाड़कर नहीं चमकाए
न ख़ूब धोए कपड़े
किसी से विदा नहीं ली
आँखें खोलकर
घर से स्टैण्ड तक
चला रास्ते
गाड़ी के पाँवदान पर
एक पैर होकर भी।

दूसरा बिल्कुल ठीक था
ज़मीन पर
घर छोड़ते समय।