Last modified on 4 जनवरी 2009, at 02:56

यात्रा (चार) / शरद बिलौरे

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:56, 4 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शरद बिलौरे |संग्रह=तय तो यही हुआ था / शरद बिलौरे }...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक नदी
दो नदी
दस नदी
यात्रा एक
और पार करनी पड़ी अनगिनत नदियाँ।
पहाड़ों और मैदानों की गिनती अलग
खर्च के मद में कुल जमा पाँच दिन।
एक अच्छी नौकरी के लिए
इतना सब बहुत बड़ा
बहुत छोटी योग्यता
और समझदारी की उम्र।