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मूँछें-7 / ध्रुव शुक्ल
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कुआ तुम्हें मिला उत्तराधिकार?
मुझे तो उत्तराधिकार में मिले पिता
पिता की व्याख्या करता हूँ...
दिन गिनता हूँ-
कोई किसी का पिता नहीं
पिता दिन गिनते हैं-
कोई किसी का बेटा नहीं
एक कोख है
जिसमें सब आ-जा रहे हैं
मृत्यु की ओर बढ़ते पिता
मुझे सौंप देते हैं मृत्यु को
मृत्यु ही उत्तराधिकारी है...