Last modified on 15 जनवरी 2009, at 12:03

घर -४ / नवनीत शर्मा

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:03, 15 जनवरी 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

 
उस परि‍चित से लगने वाले
बुजुर्ग की बेतरतीब दाढ़ी बहुत उदास करती है
जैसे मिला न हो कोई हज्‍जाम बरसों से
लोग इसे छूटा हुआ घर कहते हैं।