Last modified on 18 जनवरी 2009, at 03:53

माइकिल एंजिलो की दूसरी बहन / अग्निशेखर

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:53, 18 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अग्निशेखर |संग्रह=मुझसे छीन ली गई मेरी नदी / अग्...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ओ, धागा नापने में व्यस्त
माइकिल एंजिलो की दूसरी बहन
तुम्हें ही मालूम है
यहाँ किसके उधड़े ज़ख़्मों को सिया नहीं जाना है
यह पृथ्वी, आकाश, तारे, पंछी, मौसम,
लोग और उनकी आकांक्षाएँ
जिस धागे से बँधी हुई हैं
तुम ही जानती हो
वह कितना कमज़ोर हो चुका है

बहन, तुम जानती हो कि किसके कितने
आयाम हैं
और कमी भी नहीं है तुम्हारे पास नापने के लिए
अनन्त धागे की
मैं साहस नहीं कर पा रहा तुमसे यह कहने का
कि तुम्हारे लिए मैंने छिपाकर रखा है
अपना कपास