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कैम्प में चिड़ियाँ / अग्निशेखर
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इन दिनों मेरी बिटिया निहारती है
कैम्प में चिड़ियों को
सुनती है धूप में उनकी बातें
और देर तक रहती है गुम
सामने-सामने
उड़ जाती हैं टैंट की रस्सियों से
एक साथ बीसियों चिड़ियाँ
सूनी हो जाती है मेरी बिटिया
लुप्त हो जाती है उसकी चहक
फिर अनायास पूछती है-
पापा, हम कब जाएंगे घर ?