भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पृष्ठ / मोहन साहिल

Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:15, 20 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहन साहिल |संग्रह=एक दिन टूट जाएगा पहाड़ / मोहन ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लिखने के लिए हमेशा नहीं रहते
एक जैसे विषय
न हर बार स्याही से लिखे जाते हैं शब्द
पृष्ठों का बरसों कोरा रह जाना भी
रखता है कोई अर्थ

कई बार
यूँ ही रखे-रखे
डायरी के कई पन्ने
खा जाती है दीमक
या सीलन कर देती है काला

फिर भी बँधे रहते हैं
ईबारत के बीच
खाली पृष्ठ
जीवन के शोक दिवस की तरह।