Last modified on 20 जनवरी 2009, at 23:45

कहाँ हो पहाड़ / अनूप सेठी

प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:45, 20 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनूप सेठी }} <poem> {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनूप सेठी }} <poem> छ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


{{KKRachna
|रचनाकार=अनूप सेठी
}}



छू के भी क्या होगा

चट्टान सा खुरदुरा है

रेत सा झरता है

पानी भी तो रहा नहीं

न वो हुलस न वो आस

कोई आँख का हिरण होता

चाहे कोठी का कपोत होता

हर उत्तर में खड़ा होता था भरोसे का आकाश

तुम्हारे कंधों पर, पहाड़

कितना ऊँचा और पास



गल गया गर्भनाल

नदी निकल आई दूसरी दुनिया में

तू जड़ खड़ा रहा

हो गया निर्विकार

                     (1987)