भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कोई उठा ले इस पृथ्वि को / अनूप सेठी
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:53, 22 जनवरी 2009 का अवतरण (कोई उठा दे / अनूप सेठी का नाम बदलकर कोई उठा दे ले इस पृथ्वि को / अनूप सेठी कर दिया गया है)
इस तेल में तेल कम
लहू ज्यादा है
दूध पी लिया अबोध बच्चे ने
यह उसी गैस पर उबला है
जिसमें लहू मिला है
कुछ बनने के लिए सिर खपा रहा है किशोर
सुनसान रात में
लालटेन के पेट में लहू जल रहा है
वक्त से पहुँचा दिया बेटे ने माँ को अस्पताल
एँबुलेंस लहू पर चल कर आई है
तेल रिस गया
लहू जल गया
आदमियों ने नहीं छोड़ा धरती को अपने लायक
कोई उठा ले
किसी दूसरे ग्रह पर रख आए
पृथ्वी को सँभाल कर।
(1991)