राग जैतश्री
	सहेली सुनु सोहिलो रे |
	सोहिलो, सोहिलो, सोहिलो, सोहिलो सब जग आज |
	पूत सपूत कौसिला जायो, अचल भयो कुल-राज ||
	चैत चारु नौमी तिथि सितपख, मध्य-गगन-गत भानु |
	नखत जोग ग्रह लगन भले दिन मङ्गल-मोद-निधान ||
	ब्योम, पवन, पावक, जल, थल, दिसि दसहु सुमङ्गल-मूल|
	सुर दुन्दुभी बजावहिं, गावहिं, हरषहिं, बरषहिं फूल ||
	भूपति-सदन सोहिलो सुनि बाजैं गहगहे निसान |
	जहँ-तहँ सजहिं कलस धुज चामर तोरन केतु बितान ||
	सीञ्चि सुगन्ध रचैं चौकें गृह-आँगन गली-बजार |
	दल फल फूल दूब दधि रोचन, घर-घर मङ्गलचार ||
	सुनि सानन्द उठे दसस्यन्दन सकल समाज समेत |
	लिये बोलि गुर-सचिव-भूमिसुर, प्रमुदित चले निकेत ||
	जातकरम करि, पूजि पितर-सुर, दिये महिदेवन दान |
	तेहि औसर सुत तीनि प्रगट भए मङ्गल, मुद, कल्यान ||
	आनँद महँ आनन्द अवध, आनन्द बधावन होइ |
	उपमा कहौं चारि फलकी, मोहिं भलो न कहै कबि कोइ ||
	सजि आरती बिचित्र थारकर जूथ-जूथ बरनारि |
	गावत चलीं बधावन लै लै निज-निज कुल अनुहारि ||
	असही दुसही मरहु मनहि मन, बैरिन बढ़हु बिषाद |
	नृपसुत चारि चारु चिरजीवहु सङ्कर-गौरि-प्रसाद ||
	लै लै ढोव प्रजा प्रमुदित चले भाँति-भाँति भरि भार |
	करहिं गान करि आन रायकी, नाचहिं राजदुवार ||
	गज, रथ, बाजि, बाहिनी, बाहन सबनि सँवारे साज|
	जनु रतिपति ऋतुपति कोसलपुर बिहरत सहित समाज ||
	घण्टा-घण्टि, पखाउज-आउज, झाँझ, बेनु डफ-तार |
	नूपुर धुनि, मञ्जीर मनोहर, कर कङ्कन-झनकार ||
	नृत्य करहिं नट-नटी, नारि-नर अपने-अपने रङ्ग |
	मनहुँ मदन-रति बिबिध बेष धरि नटत सुदेस सुढङ्ग ||
	उघटहिं छन्द-प्रबन्ध, गीत-पद, राग-तान-बन्धान |
	सुनि किन्नर गन्धरब सराहत, बिथके हैं, बिबुध-बिमान ||
	कुङ्कुम-अगर-अरगजा छिरकहिं, भरहिं गुलाल-अबीर |
	नभ प्रसून झरि, पुरी कोलाहल, भै मन भावति  भीर ||
	बड़ी बयस बिधि भयो दाहिनो सुर-गुर-आसिरबाद |
	दसरथ-सुकृत-सुधासागर सब उमगे हैं तजि मरजाद ||
	बाह्मण बेद, बन्दि बिरदावलि, जय-धुनि, मङ्गल-गान |
	निकसत पैठत लोग परसपर बोलत लगि लगि कान ||
	बारहिं मुकुता-रतन राजमहिषि पुर-सुमुखि समान |
	बगरे नगर निछावरि मनिगन जनु जुवारि-जव-धान ||
	कीन्हि बेदबिधि लोकरीति नृप, मन्दिर परम हुलास |
	कौसल्या, कैकयी, सुमित्रा, रहस-बिबस रनिवास ||
	रानिन दिए बसन-मनि-भूषन, राजा सहन-भँडार |
	मागध-सूत-भाट-नट-जाचक जहँ तहँ करहिं कबार ||
	बिप्रबधू सनमानि सुआसिनि, जन-पुरजन पहिराइ |
	सनमाने अवनीस, असीसत ईस-रमेस मनाइ ||
	अष्टसिद्धि, नवनिद्धि, भूति सब भूपति भवन कमाहिं |
	समौ-समाज राज दसरथको लोकप सकल सिहाहिं ||
	को कहि सकै अवधबासिनको प्रेम-प्रमोद-उछाह |
	सारद सेस-गनेस-गिरीसहिं अगम निगम अवगाह ||
	सिव-बिरञ्चि-मुनि-सिद्ध प्रसंसत, बड़े भूप के भाग |
	तुलसिदास प्रभु सोहिलो गावत उमगि-उमगि अनुराग ||