भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इस हजूम में / सरोज परमार

Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:00, 28 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरोज परमार |संग्रह=समय से भिड़ने के लिये / सरोज प...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


इन तनी हुई मुठ्ठियों में
मुद्दे नहीं हैं
सहज भरी है हवा
पताकाओं की ऊँचाई से
मत लगाओ कयास जश्न का
इस हजूम में ज़्यादा हैं बछड़े
इन्हें इल्म हो गया है
सियासती रिवाज़ों का