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चेतना / सरोज परमार

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अन्तस की हवाई पट्टी पर
स्थिर चेतना
अनायास ही मुड़ती है
उड़ती है
आकाश की पर्तों को चीर
चुम्बकीय शक्तियों से दूर
भारहीन व्यवस्था में
तैरती रहती है .