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यहाँ बच्चे आएँगे इस तरह / नरेन्द्र जैन

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बच्चा
गोल-मटोल था
गोरा और जादुई
छूते हुए उसे मैं जैसे
अपने को छू रहा था

तीस बरस बाद
एक बार मुझे और शौक हुआ था
जन्म लेने का यहाँ

फिर एक माँ
जवान होते हुए मेरे सामने खड़ी थी
अपने नंग-धड़ंग बच्चे को गोद में उठाए
जवान माँ की गोद में
फिर मैं लेटा हुआ था
बच्चा गोल-मटोल था
मैंने देखा
तीस बरस बाद इसके सामने
होगा एक बच्चा
यह ख़ुद ही होगा
किसी माँ की गोद में

पृथ्वी के घूमते-घूमते
इसी तरह
यहाँ बच्चे आएंगे
गोरे और जादुई
गोल-मटोल और
नंग-धड़ंग