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बातचीत / नरेन्द्र जैन

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कल
उसने कहा था कविता से
'तुम्हारे भरोसे हूँ'
शब्दों के पास जाकर
उनके क्न्धे थपथपाए
'मेरा ख़याल रखना'

कल
मौसम से कहा उसने
'मुझे आगाह करते रहना'

याचना करता रहा
स्त्री के पास जाकर
'अपनी ख़ुशी को मत छिपाना'

पास आती
नींद से बोल उठा
'तुम्हारे हवाले हूँ'