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नियति / दिविक रमेश

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फ़िज़ूल लगता है

कानून का

आत्महत्याओं पर रोक लगाना ।


या बच गए इन्सान के दिन

बन्द कर देना सीखचों में ।


जबकि

सब एक क्रम में

अपने को मार रहे हैं

धीरे-धीरे ।