भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जन्म दिन / राजा खुगशाल

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:54, 7 फ़रवरी 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दो धौल वक़्त ने कसे

दो घूँसे मैंने मारे

वक़्त ने कालर ऎसे पकड़े

कि कमीज़ के काज

फट गए सारे

जो बटन बचे

वे अब खो गए

दौड़ते-दौड़ते बत्तीस साल हो गए ।