भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ढलती एक शाम / मोहन राणा
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:45, 7 फ़रवरी 2009 का अवतरण
कितने आयाम कि चैन नहीं जिसमें
ली यह साँस करने यह सवाल
कि नहीं करूंगा फिर वही सवाल,
मैं चिड़िया हूँ या पतंग
या दोनों ही हूँ एक साथ
उस आयाम में
ढलती एक शाम
29.1.2006