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मेरठ-5 / स्वप्निल श्रीवास्तव
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मेरठ के सारे छूरे-कैंचियाँ
बिक गई हैं, मगर
शहर के चेहरे पर पहली जैसी
गझिन दाढ़ी है
जिसमें चोर खोज रहे हैं तिनके
क़त्ल और आगजनी की अफवाहें
तथा बच्चों के गुम होने की
सूचना है
बेगम ब्रिज के चौराहे पर
चिन्तित होकर मैं बच्चों के
वापस लौटने की राह
देख रहा हूँ
मगर यह क्या ?
मेरी ओर आ रही हैं
छूरियाँ और कैंचियाँ