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स्त्री और पुरुष / अमिता प्रजापति
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वह संस्कृति और परम्पराओं की
मोटी-मोटी क़िताबों से
प्रश्न पत्र की तरह निकलते हैं- अकड़ते
तटस्थ, अनिवार्य, सीमा बाँधते
अलग-अलग होते हुए भी एक समान
और तुम उत्तर-पुस्तिका-सी
एक ही प्रश्न को
अलग-अलग तरीकों से हल करतीं
पृष्ठ दर पृष्ठ खुलतीं
फिर भी अपर्याप्त
होतीं अधूरी-सी समाप्त