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टुकड़ों में बँटा घर-एक / अवतार एनगिल

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घंटी बजते ही
उस औरत को याद आया
कब से बैठी थी
अंधरे में...

बत्ती जलाते हुए
भागकर अलगनी से दुपट्टा खींचा
और
पलक झपकते
उसमें सिमट गई

खोला द्वार
डाकिये ने
दिया तार
मुल्क के लिए
बहादुरी से लड़ते
हुए
हुआ शहीद आपका बेटा
अब्दुल
हमीद