भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
औरतें: सात / तुलसी रमण
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:08, 20 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसी रमण |संग्रह=पृथ्वी की आँच / तुलसी रमण }} <Poem> ब...)
बीच गाँव बजता
चैत का ढोल
झूमती गाती
एक माला औरतें
निकाल लाती कलेजे से बाहर
धड़कता हुआ पहाड़
देह में उतर आते देवता
हँसती हैं औरतें
रोती हैं
पेड़ फसल मवेशी और
मनुष्य के लिए
प्रार्थना की लय में
पृथ्वी के हाथ पकड़
नाचती जाती हैं
जुलाई 1998