भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सम्बोधन-चार / तुलसी रमण
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:02, 20 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसी रमण |संग्रह=पृथ्वी की आँच / तुलसी रमण }} <Poem> आ...)
आओ........
आज देखें
पच्छिम की धूर पर
एक गोली सूरज
दो चोटियों के बीच
देवदार से
छनता हुआ
चाँद
और थोड़ा-सा
उड़ लेंगे
आसमान
अक्तूबर 1987