भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दस्तूर / केशव

Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:49, 21 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव |संग्रह=भविष्य के नाम पर / केशव }} <Poem> यह भी न ह...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यह भी न होता अगर
खोने-पाने का
दस्तूर
खामोशी
चूहे की तरह
कुतरती रहती आत्मा को

आवाजें
निकलकर बिलों से
महज़ भिनभिनाती
इर्द-गिर्द

यात्राएँ
पालतू कुत्ते की तरह
लोटती पाँवों पर

पूछतीं
कौन बीत गया
चौखट लाँघते-लाँघते
वक्त
या फिर तुम!