भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कई बार ऐसा हुआ / हेमन्त जोशी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:21, 24 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हेमन्त जोशी }} <poem> कई बार ऐसा हुआ शब्द हाथों से छू...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कई बार ऐसा हुआ
शब्द हाथों से छूट कर
टूटकर बिखर गए
ज़मीन पर

अपनी ही तलाश में
शब्दों को गढ़ा कई बार
आवरण में रखा सहेज कर
और वो दर्द सहा
जो ख़ुद को छिपाने में रहा

कई बार ऐसा हुआ
अपने ही ख़िलाफ तन गए हम
यूँ ही ख़ुद से रूठ कर