भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

संबंध / हेमन्त जोशी

Kavita Kosh से
हेमंत जोशी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:20, 24 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हेमंत जोशी }} <poem> '''संबंध''' '''1''' संबंधों के झूलते प...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


संबंध

1

संबंधों के झूलते पुल पर
हाथों में हाथ थाम
पार कर जाते हैं हम
जीवन की गहरी नदी
और तेज बहता समय।

2

वह आदमी नहीं हैं
व्यवस्था के वाहक हैं
नाहक है मेरे पिता, मेरे भाई ...

हर व्यक्ति पुर्जा है
इस विशाल तंत्र का
पहुँचाता है मुझतक
कोई न कोई मंत्र
इस विशाल तंत्र का।