मदहोशी की बस्ती में
होश की बात न कर
बात कर साकी की मयखाने की 
अन्धेरों में भटके हैं ये बरसों 
यहाँ रोशनी का ज़िक्र न कर
मत कर बातें यहाँ मशालों की
मयखाने में बैठ
कुछ पीने-पिलाने का दौर बढ़ा 
पागल, मत कर होश की बातें 
	पागलों की बस्ती में
सज़ाए काला-पानी पाएगा
चढ़ा जा एक छोटा सा जाम
हुजूम में तू भी झूम जा ।