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शाम / सौरभ

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ढल गया सूर्य लाली छाई है
आज फिर शाम घिर आई है
आज फिर साँझ का पँछी बोला
आकाश में बदली छाई है
मन्दिर से गूँज रहा घण्टों का नाद
गुरुद्वारे से वाहेगुरु की फुहार आई है
घरों में धूप-दीप हैं जल रहे
चल रही ठण्डी पुरवाई है
टिंकू की माँ आटा है गूँथ रही
दादी ने आरती गाई है
साथियों, आज फिर शाम घिर आई है।