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पत्थर होता जिस्म़ / हरकीरत हकीर
प्रकाश बादल
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तुम गढ़ते रहे
देह की मिट्टी पर
अपने नाम के अक्षर
हथौडो़ की चोट से
जिस्म़ मेरा
पत्थर होता रहा..