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खुद से जुदाई / श्याम सखा 'श्याम'
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गर खुदा खुद से जुदाई दे
कोई क्यों अपना दिखाई दे
काश मिल जाए कोई अपना
रंजो-ग़म से जो रिहाई दे
जब न काम आई दुआ ही तो
कोई फिर क्योंकर दवाई दे
ख़्वाब बेगाने न दे मौला
नींद तू बेशक पराई दे
तू न हातिम या फरिश्ता है
कोई क्यों तुझको भलाई दे
डूबने को हो सफीना जब
क्यों किनारा तब दिखाई दे
आँख को बीनाई दे ऐसी
हर तरफ़ बस तू दिखाई दे
साथ मेरे तू अकेला हो
अपनी ही बस आश्नाई दे