Last modified on 10 मार्च 2009, at 23:28

हो झालौ दे छे रसिया नागर पनाँ / बिहारी

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:28, 10 मार्च 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बिहारी |संग्रह= }}<poem> हो झालौ दे छे रसिया नागर पना...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हो झालौ दे छे रसिया नागर पनाँ।
साराँ देखे लाज मराँ छाँ आवाँ किण जतनाँ॥
छैल अनोखो कह्यो न मानै लोभी रूप सनाँ।
रसिक बिहारी नणद बुरी छै हो लाग्यो म्हारो मनाँ॥