Last modified on 12 मार्च 2009, at 18:31

मैं था तन्हा एक तरफ़ / विज्ञान व्रत

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:31, 12 मार्च 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विज्ञान व्रत |संग्रह= }} <Poem> मैं था तन्हा एक तरफ़ औ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैं था तन्हा एक तरफ़
और ज़माना एक तरफ़

तू जो मेरा हो जात
मैं हो जाता एक तरफ़

अब तू मेरा हिस्सा बन
मिलना-जुलना एक तरफ़

यूँ मैं एक हक़ीकत हूँ
मेरा सपना एक तरफ़

फिर उससे सौ बार मिला
पहला लमहा एक तरफ़!