Last modified on 13 मार्च 2009, at 20:04

आभारी हूँ बहुत दोस्तों / रामदरश मिश्र

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:04, 13 मार्च 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामदरश मिश्र |संग्रह= }} <Poem> आभारी हूँ बहुत दोस्तो...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आभारी हूँ बहुत दोस्तो, मुझे तुम्हारा प्यार मिला
सुख में, दुख में, हार-जीत में एक नहीं सौ बार मिला!

सावन गरजा, भादों बरसा, घिर-घिर आई अंधियारी
कीचड़-कांदों से लथपथ हो, बोझ हुई घड़ियाँ सारी
तुम आए तो लगा कि कोई कातिक का त्योहार मिला!

इतना लम्बा सफ़र रहा, थे मोड़ भयानक राहों में
ठोकर लगी, लड़खड़ाया, फिर गिरा तुम्हारी बाहों में
तुम थे तो मेरे पाँवों को छिन-छिनकर आधार मिला!

आया नहीं फ़रिश्ता कोई, मुझको कभी दुआ देने
मैंने भी कब चाहा, दूँ इनको अपनी नौका खेने
बहे हवा-से तुम, साँसों को सुन्दर बंदनवार मिला!

हर पल लगता रहा कि तुम हो पास कहीं दाएँ-बाएँ
तुम हो साथ सदा तो आवारा सुख-दुख आए-जाए
मृत्यु-गंध से भरे समय में जीवन का स्वीकार मिला!