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पुकारता चला हूँ मै / मेरे सनम

पुकारता चला हूँ मै,
गली-गली बहार की,
बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
बस, एक निगाह प्यार की,

पुकारता चला हँ मै,
गली-गली बहार की,
बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
बस एक निगाह प्यार की,
पुकारता चला हँ मैं,

ये दिल्लगी ये शोखियाँ सलाम की,
यही तो बात हो रही है काम की,
कोई तो मुड़ के देख लेगा इस तरह,
कोई नज़र तो होगी मेरे नाम की,

पुकारता चला हूँ मै,
गली-गली बहार की,
बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
बस, एक निगाह प्यार की,
पुकारता चला हूँ मै,

सुनी मेरी सदा तो किस यकीन से?
घटा उतर के आ गयी ज़मीन पे,
रही यही लगन तो ऎ दिले जवाँ,
असर भी हो रहेगा एक हसीन पे,

पुकारता चला हूँ मै,
गली-गली बहार की,
बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
बस, एक निगाह प्यार की,
पुकारता चला हूँ मै।