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आखिरी बात / पंकज चतुर्वेदी

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अल्लाह रक्खा रहमान को
संगीत-रचना के लिए ऑस्कर मिला
तो देश के दो बड़े हिन्दी अख़बारों के
स्थानीय संवाददाताओं ने
फ़ोन पर मुझसे सवाल किया :
क्या आपको लगता है
कि "स्लमडॉग मिलियनेयर" के
निर्माता-निर्देशक ब्रिटिश थे
इसलिए यह ऑस्कर मिल गया ?

मैंने कहा :
मुझे ऐसा नहीं लगता
क्योंकि पहले सत्यजीत राय को
सिनेमा की दुनिया में
उनके जीवन-भर के अवदान के लिए
ऑस्कर मिल चुका है

दूसरे, आप इस पर विचार कीजिए
कि गाँधी पर सबसे अच्छी फ़िल्म
रिचर्ड एटनबरो बनाते हैं
शंकर-पार्वती पर सबसे अच्छी कविता
आक्तोवियो पाज़ लिखते हैं
तो क्या हम अपने इतिहास
संस्कृति और मिथकों के प्रति
उतने संजीदा, समर्पित और निष्ठावान हैं
जितने कि जिन्हें आप
विदेशी कह रहे हैं ?

आखिरी बात यह कि
रहमान की यह महान उपलब्धि है
देश के लिए गौरव की बात है
वे गैर-हिंदू हैं
इसलिए यह भी एक मौका है
जब हिंदुत्ववादियों को
भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति का
सम्मान करना
उस पर नाज़ करना सीखना चाहिए

अलग-अलग बातचीत में
दोनों ही पत्रकारों ने कहा :
ठीक है, ठीक है,
आपने हमारे मतलब का
काफी कुछ कह दिया

अगले दिन दोनों अख़बारों में छपा
कि मैं भी इस बात से सहमत हूँ
कि फिल्मकार विदेशी थे
इसलिए ऑस्कर मिल गया
क्योंकि एटनबरो और पाज़ भी विदेशी थे
अगर्चे सत्यजीत राय का नाम भी छपा
लेकिन आखिरी बात नहीं छपी
जैसे मैंने वह कही ही नहीं थी