Last modified on 17 अप्रैल 2009, at 20:20

सांध्य समाचार / ध्रुव शुक्ल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:20, 17 अप्रैल 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ध्रुव शुक्ल |संग्रह= }} <Poem> आ रहा है वह सुन रहे हैं ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आ रहा है वह
सुन रहे हैं सब
उसके आने की पदचाप
उड़ रही है गंध
उसके आगमन की

हत्यारा नहीं है वह
यही है सान्ध्य समाचार
रोज़ उठा ले जाता है किसी एक को

शक्ति और सौन्दर्य के सामने
हर पल
वन में काँपती है मृत्यु!