भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बदबू / ऋषभ देव शर्मा
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:40, 22 अप्रैल 2009 का अवतरण
केसर की क्यारी में
कितने बरस से
लगातार बढ़ती ही जाती है
लाशों की बदबू;
घटती नहीं.
बर्फ का शिवलिंग
हर बरस आप से आप बढ़ता है
और घट भी जाता है
आप से आप।