Last modified on 22 अप्रैल 2009, at 21:03

हमारे समय में कृतज्ञता / नरेश चंद्रकर

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:03, 22 अप्रैल 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नरेश चंद्रकर }} <poem> मैंने उनके कई काम निपटाए न नि...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैंने उनके
कई काम निपटाए

न निपटाता
तो हमेशा के लिए नाराज़ रहते

अब वे कहते हैं
बुरा फँसा तुम्हारे निपटाए काम की वज़ह से!