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मेज़बानों की सभा / नरेश चंद्रकर
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आदिवासीजन पर सभा हुई
इन्तज़ाम उन्हीं का था
उन्हीं के इलाक़े में
शामिल वे भी थे उस भद्रजन सभा में
लिख-लिखकर लाए परचे पढ़े जाते रहे
ख़ूब थूक उड़ा
सहसा देखा मैंने
मेज़बान की आँखों में भी चल रही है सभा
जो मेहमानों की सभा से बिल्कुल
भिन्न और मलिन है!