हम 
जो कि एक साथ
पूँछ और मूँछ 
दोनों की चिंता में एक साथ व्यग्र हैं
बचाते हैं अपना घर।
जिस पर हम
सारी उम्र
पतीले की तरह चढ़ते हैं।
एक अदहन हमारे अन्दर 
खौलता रहता है निरंतर।
हम 
जो कि एक साथ
पूँछ और मूँछ 
दोनों की चिंता में एक साथ व्यग्र हैं
बचाते हैं अपना घर।
जिस पर हम
सारी उम्र
पतीले की तरह चढ़ते हैं।
एक अदहन हमारे अन्दर 
खौलता रहता है निरंतर।