बाज़ार का ते हाल है
कि ग्राहक पीला
और दुकानदार लाल है
दूध वाला कहता है-
"दूध में पानी क्यों है
गाय से पूछो।"
गाय कहेगी-"पानी पी रहीं हूँ
तो पानी दूंगी
दूध वाला मेरे प्राण ले रहा है
मैं तुम्हारे लूंगी।"
कोयले वाला कहता है-
"कोयले की दलाली में
हाथ काले कर रहे हैं
बर्तन खाली ही सही
हमारी बदौलत चूल्हे तो जल रहें हैं।"
कपड़ॆ वाला कहता है-
"जिस भाव में आया है
उस भाव में कैसे दें
आपको ह्ंड्रेड परसेंट आदमी बनाने का
आपसे फिफ्टी परसेंट भी नहीं लें।"
धोबी कहता है-
"राम ने धोबी के कहने से सीता हो छोड़ दिया
आप कमीज़ नहीं छोड़ सकते
सौ रुपल्ली की कमीज़ भट्टी खा गई है
तो आप तिलमिला रहें हैं
इस देश में लोग ईमान को भट्टी में झोंककर
सारे देश को खा रहें हैं।"
मक्खन वाला कहता है-
"बाबूजी ये मक्खन है
खाने के लिए नहीं, लगाने के काम आता है
जो लगाना जानता है
उपर वाला उसी को मानता है।"
डॉक्टर कहता है-
"सोलह रुपये फीस सुनते ही
चेहरा उतर गया
जिस देश में पानी पैसे से मिलता है
वहाँ लोगों को
दवा जैसी चीज़ फोकट में चाहिए
आप जैसो के लिए सरकारी अस्पताल ही बेहतर है
जाइए, वहीं धक्के खाइए।"
अनाज वाला कहता है-
"आप खरीदते हैं, हम बेचते हैं
एक दूसरे को रोज़ देखते हैं
बड़े बाप का बेटा
जो देखाई नहीं देता
मगर संसार को तार रहा है
हम तो केवल डंडी मारते है।"
घी वाला कहता है-
"घी खाने का शौक़ है
तो डालडा ले जाइए
हमारे देश के औधोगिक विकास का नमूना है
खाएंगे
तो हाथी की तरह फूल जाएंगे
घी तो घी, रोटी खाना भूल जाएंगे।"