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पहली नज़र में हो जाता है/ विनय प्रजापति 'नज़र'
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लेखन वर्ष: 2003
पहली नज़र में हो जाता है
यह दिल खो जाता है, प्यार में
कुछ भी होश नहीं रहता है
जहाँ बेग़ाना लगता है, प्यार में
शबो-रोज़ दर्द नये उठते हैं
फूल रंग-बिरंगे खिलते हैं
दीवानों के जैसे हाल होता है
उसी का ख़्याल आता है, प्यार में
यादों की धूप कड़ी हो जाती है
चेहरे की चाँदनी मन लुभाती है
ख़ाबों का झरना-सा बहता है
हर पल नया लगता है, प्यार में
चाँद से हसीं और क्या होगा
उस जाने-मन का चेहरा होगा
यह दिल उसी को ढूँढ़ता है
जो दिल को लूटता है, प्यार में
उसके लिए मरता है दिल
जिसके लिए धड़कता है दिल
हसीनों में वह हसीं लगता है
जो दिल में बसता है, प्यार में