ज़रा-सा सोच भी लेते अगर अंजाम से पहले। हमें फिर क्यों सज़ा मिलती, किसी इल्ज़ाम से पहले। कभी भी तुम खुको, कोशिश हमको मनाने की, कभी राधा भी तट पर आ गई थी, श्याम से पहले। वो लक्ष्मी हो कि सीता हो,