भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चंचल पवन प्राणमय बंधन / त्रिलोचन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:47, 12 मई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिलोचन |संग्रह= }} <poem> चंचल पवन प्राणमय बंधन व्य...)
चंचल पवन प्राणमय बंधन
व्योम सभी के ऊपर छाया
एक चांदनी का मधु लेकर
एक उषा में जगो जगाओ
झिझक छोड़ दो, जाल तोड़ दो
तज मन का जंजाल जोड़ दो
मन से मन जीवन से जीवन
कच्चे कल्पित पात्र फोड़ दो
साँस-साँस से लहर-लहर से
और पास आओ लहराओ