|
तुम्हारा दिल खेलता है तुम्हारी
शिराओं में ख़ून पकड़ने का खेल।
तुम्हारी आँखें अब भी उतनी ही उष्ण हैं जितना कि बिस्तर
जिस पर पसरा हुआ है समय।
तुम्हारी जंघाएँ बीते हुए रसीले दो दिन हैं
आऊंगा मैं तुम्हारे पास।
सभी डेढ़ सौ स्तोत्र
तुरन्त गरज उठते हैं।
स्तोत्र= कवि का तात्पर्य बाइबिल के डेढ़ सौ साम से है।
हिब्रू से असीया गुटमन के अंग्रेज़ी अनुवाद के आधार पर रमण सिन्हा द्वारा हिन्दी में भाषान्तर