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जीने के नाम पर / श्याम किशोर
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गाने के नाम पर
म्व्रा पड़ोसी
सुबह-शाम दोहराता है
एक ही प्रार्थना-गीत
पढ़ने के नाम पर
मेरा पड़ोसी
सुबह-शाम करता है
एक ही ग्रंथ-विशेष का पाठ
चलने के नाम पर
मेरा पड़ोसी
सुबह-शाम तय करता है
एक ही फ़ासला।
एक गीत
एक क़िताब
एक सड़क के सहारे
कैसे बिता देते हैं लोग पूरी उम्र !